Friday, June 6, 2014

कैसे चोरी होता है पेट्रोल, कैसे लगती है आपकी जेब पर चपत

चिप पेट्रोल पंप मशीन के अंदर फिट की जाती है। इसे रिमोट से नियंत्रित किया जाता है। सेल्समैन इसे बटन से नियंत्रित करता है। तेल डालते समय बटन दबाने से तेल कम गिरने लगाता है। इससे मीटर तो चलता है, लेकिन वास्तव में उपभोक्ता को तब तक चूना लग चुका होता है। इसे कोई पकड़ भी नहीं सकता, क्योंकि जैसे ही आप चेक करने चलेंगे, उसे रिमोट से सही कर दिया जाएगा और तेल सही मात्रा में गिरेगा।
हरियाणा पुलिस द्वारा पकड़े गए एक शातिर इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर ने खुलासा किया था कि उसने इस तरह की चिप बनाईं और हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश व पंजाब में धड़ल्ले से सप्लाई की हैं। इस इलेक्ट्रॉनिक चिप के काले कारोबार में पैसा कितना है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पेट्रोल पंप पर काम करने वाला यह मामूली कर्मचारी महज तीन साल में इस काले कारोबार से लखपति बन गया।
दो तरह की होती है चिप
 ये इलेक्ट्रॉनिक चिप दो तरह की होती है। एक का इस्तेमाल रिमोट से होता है जबकि दूसरी तरह की चिप बिना रिमोट के कोड नंबर से काम करती है।धांधली करने वाले लोग पेट्रोल पंप मशीन में एक इलेक्ट्रानिक चिप लगा देते हैं। इस चिप के लगते ही यह पेट्रोल डिलिवरी पल्स को बढ़ा देती है। इससे मशीन के मीटर पर पेट्रोल सप्लाई और रेट तो सही बताता है लेकिन असल में इससे आपको कम पेट्रोल मिलता है। कुल मिलाकर, हर 50 लीटर पेट्रोल सप्लाई में इस चिप से 1 से 2 लीटर तक पेट्रोल चोरी कर लिया जाता है। इस चिप को रिमोट कंट्रोल की मदद से ऑपरेट किया जाता है। दिलचस्प है कि 1 इलेक्ट्रॉनिक चिप की कीमत करीब 35 से 40 हजार रुपये होती है।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी पेट्रोल पंप में ऐसी चिप लगी है और आपने वहां से 100 रुपये का पेट्रोल डलवाया तो मीटर में आपको जरूर 100 रुपये के बराबर का पेट्रोल दिखेगा, लेकिन असल में पेट्रोल पाइप से 5-10 रुपये का कम तेल निकलता है।
फिक्स अमाउंट का न खरीदें पेट्रोल
कभी भी फिक्स अमाउंट जैसे 100, 200 या 500 रुपए का पेट्रोल या डीजल न खरीदें, हमेशा एबनार्मल अमाउंट बताए जैसे 104, 207 या जो भी सिक्के आपकी जेब में हों उन्हें जोड़कर ही खरीदें। क्योंकि कई पेट्रोल पम्प वाले मशीनों से छेड़छाड़ करके उन्हें तेज कर देते हैं। यानी मीटर जम्प करने लगता है। इससे मीटर तेज भागता है और पेट्रोल कम मिलता है। जब आप ऑड नंबर यानी 107, 135 आदि का पेट्रोल डलवाते हैं, तो उसे मैनुअली पेट्रोल डालना पड़ता है, इससे मीटर जम्प नहीं कर पाता। 
नजर रखें, ऐसे होती है चोरी
 पेट्रोल देते समय सेल्समैन पंप का मीटर ऑन करते हैं। इसके बाद गाड़ी की टंकी में नोजल डालकर वे लीवर को दबाते या झटका देते हैं। इससे वैक्यूम हो जाता है और पाइप में 20-50 एमएल पेट्रोल रह जाता है। दूसरी ओर मीटर रीडिंग जारी रहता है।
25 एमएल कम, तो दो रुपए की मार
 एक लीटर पेट्रोल भरते समय अगर मात्र 25 मिलीलीटर की चोरी हो, तो उपभोक्ता को लगभग दो रुपए की चपत लगती है। दिनभर में इस तरह सैकड़ों लोगों की जेब कटती है व हजारों रुपए की चपत लगाई जाती है। अनेक उपभोक्ता इन बातों से अनजान हैं।
पेट्रोल पम्प पर ध्यान रखने योग्य बातें-
 > पेट्रोल लेने से पूर्व मीटर पर शून्य रीडिंग के लिए आशवस्त हो ले!
> मिलावट पर संदेह होने पर फिल्टर पेपर परिक्षण की मांग करें !
>  कैश मेमो लेना न भूलें !
>  सेवा से संतुष्ट न होने पर शिकायत अवश्य करें !
> कंपनी के प्रमाणिक पेट्रोल पम्प से ही पेट्रोल या डीजल खरीदें !
 इन सब बातों के अलावा आप जब भी पेट्रोल पम्प पर प्रदान की जा रही सेवा से संतुष्ट न हों तो कृपया डीलर/प्रबंधन के ध्यान में बाते लाएं। यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक न हो तो आपको पेट्रोल पम्प पर उपलब्ध शिकायत पुस्तिका में अपनी शिकायत दर्ज करनी चाहिए। आप अपनी शिकायत सम्बंधित तेल कंपनी के विक्रय अधिकारी, मंडल कार्यालय को भेज सकते हैं अथवा टेलीफोन पर शिकायत कर सकते हैं।


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