दिनेश माहेश्वरी
कोटा। हाड़ौती में पैदा होने वाले अरबों रुपए के खाद्यान्न की फूड प्रोसेसिंग के लिए कृषि विश्वविद्यालय ने हाल ही में उद्यमियों एवं कृषि वैज्ञानिकों की एक सेल का गठन किया है। सेल इस बात की संभावनाएं तलाशेगी कि किस खाद्यान्न पर आधारित उद्योग लगाने के प्रयास किए जाएं।
कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति जेएस सोलंकी ने बताया कि सेल के गठन का उद्देश्य यही है कि किसानों द्वारा पैदा किए जाने वाले खाद्यान्न से उन्हें कैसे ज्यादा से ज्यादा फायदा हो। हाड़ौती में सोयाबीन, धनिया एवं चावल जैसे खाद्यान्न के अलावा आंवला, टमाटर, संतरा आदि कई वेजीटेबल एवं फ्रूट भी पैदा होते हैं। परन्तु किसान को उनका लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाता है। मधुमक्खी पालन के जरिए शहद उत्पादन के काम को बढ़ावा देने के लिए भी विश्वविद्यालय प्रयासरत है। ऐसी कई संभावनाएं है, जिनको मूर्तरूप देने के लिए सेल के माध्यम से प्रयास किए जाएंगे। किसान खेत में पैदा होने वाली उपज सीधे मंडी में ले जाकर बेच देते हैं, उन्हें इसकी उपज का पूरा दाम नहीं मिल पाता। इसी बात को ध्यान में रखकर सेल बनाई गई है।
किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे
उन्होंने बताया कि उन्होंने उद्यमियों को कहा है कि उद्योग लगाने की पहल तो उन्हें ही करनी है, लेकिन सरकार इसमें क्या सहायता कर सकती है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाएगा। किसानों को भी उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित करने का काम सेल करेगी। उद्यमी, किसान एवं वैज्ञानिक तीनों मिलकर एक ही दिशा में आगे बढ़ेंगे तो उद्योग लगेंगे। इस मामले में सेल की दूसरी बैठक जल्दी बुलाई जाएगी।
यह शामिल हैं सेल में
चेयरमैन कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति जेएस सोलंकी, सेक्रेटरी डॉ. ममता तिवारी, कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस तोमर, विज्ञान केन्द्र के डॉ. जीएल गर्ग एवं शहर के लघु उद्यमी समेत 22 सदस्य शामिल हैं
कोटा। हाड़ौती में पैदा होने वाले अरबों रुपए के खाद्यान्न की फूड प्रोसेसिंग के लिए कृषि विश्वविद्यालय ने हाल ही में उद्यमियों एवं कृषि वैज्ञानिकों की एक सेल का गठन किया है। सेल इस बात की संभावनाएं तलाशेगी कि किस खाद्यान्न पर आधारित उद्योग लगाने के प्रयास किए जाएं।
कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति जेएस सोलंकी ने बताया कि सेल के गठन का उद्देश्य यही है कि किसानों द्वारा पैदा किए जाने वाले खाद्यान्न से उन्हें कैसे ज्यादा से ज्यादा फायदा हो। हाड़ौती में सोयाबीन, धनिया एवं चावल जैसे खाद्यान्न के अलावा आंवला, टमाटर, संतरा आदि कई वेजीटेबल एवं फ्रूट भी पैदा होते हैं। परन्तु किसान को उनका लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाता है। मधुमक्खी पालन के जरिए शहद उत्पादन के काम को बढ़ावा देने के लिए भी विश्वविद्यालय प्रयासरत है। ऐसी कई संभावनाएं है, जिनको मूर्तरूप देने के लिए सेल के माध्यम से प्रयास किए जाएंगे। किसान खेत में पैदा होने वाली उपज सीधे मंडी में ले जाकर बेच देते हैं, उन्हें इसकी उपज का पूरा दाम नहीं मिल पाता। इसी बात को ध्यान में रखकर सेल बनाई गई है।
किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे
उन्होंने बताया कि उन्होंने उद्यमियों को कहा है कि उद्योग लगाने की पहल तो उन्हें ही करनी है, लेकिन सरकार इसमें क्या सहायता कर सकती है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाएगा। किसानों को भी उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित करने का काम सेल करेगी। उद्यमी, किसान एवं वैज्ञानिक तीनों मिलकर एक ही दिशा में आगे बढ़ेंगे तो उद्योग लगेंगे। इस मामले में सेल की दूसरी बैठक जल्दी बुलाई जाएगी।
यह शामिल हैं सेल में
चेयरमैन कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति जेएस सोलंकी, सेक्रेटरी डॉ. ममता तिवारी, कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस तोमर, विज्ञान केन्द्र के डॉ. जीएल गर्ग एवं शहर के लघु उद्यमी समेत 22 सदस्य शामिल हैं
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