Sunday, June 8, 2014

महंगी जमीनों की मार, उद्योग राजस्थान छोड़ने को तैयार

राजस्थान में कारोबारियों को मिलने वाली जमीन गुजरात के मुकाबले तीन गुनी महंगी हैं। ऐसे में राजस्थान सरकार तुरंत न चेती तो सूबे से छोटे कारोबारी दूसरे राज्यों में पलायन करना शुरू कर देंगे। वैसे भी राजस्थान के कारोबारी सस्ती जमीन की तलाश में हैं क्योंकि प्लांट शुरू करने में उन्हें काफी मशक्कत उठानी पड़ रही है।  कई मैन्युफैक्चर्स प्लांट जमीन मुहैया नहीं होने के कारण अभी रुके हुए हैं।
 जमीन आवंटन में देरी बड़ी परेशानी का सबब
जमीन के आवंटन में  देरी की वजह से कई प्रोजेक्ट समय से शुरू नहीं हो पा रहे हैं। जयपुर टेक्सटाइल कलस्टर के डायरेक्टर राजराम कंडोई के मुताबिक 2003 में अपैरल पार्क प्रोजेक्ट सरकार के जरिए एप्रूव हुआ था। करीब 135 कारोबारियों ने इसके लिए एप्लाई किया था। इनमें करीब 133 लोगों ने 25 फीसदी एडवांस भी दे दिया था। उद्यमियों ने जनवरी, 2014 तक जमीन के लिए इंतजार भी किया। इसमें सबसे बड़ी बात यह है जब इस जमीन के लिए आवेदन किया गया था तब प्रति स्क्वायर मीटर 600 रुपए था। अब वही जमीन सरकार हमें इतनी देरी के बाद 4,500 रुपए प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से सरकार दे रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए आवेदन करने वाले उद्यमियों की मुश्किल सिर्फ इतनी नहीं है। बल्कि अब सरकार उनसे बाकी 75 फीसदी राशि अगले तीन महीनों में मांग रही है।
 महंगी जमीनें कैसे खरीदें छोटे कारोबारी
राजस्थान में जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। इससे छोटे और लघु कारोबारियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ बिजनेस का विस्तार करना चाहते हैं लेकिन कारोबार के लायक उन्हें जमीन नहीं मिल रही। वहीं, सरकार की ओर से भी जमीन के आवंटन में देरी हो रही है। इसके चलते कई छोटे औऱ लघु स्तरीय कारोबारी सूबे से पलायन कर रहे हैं। जयपुर टेक्सटाइल कलस्टर के डायरेक्टर राजाराम कंडोई के मुताबिक राजस्थान में जमीन की कीमतें पड़ोसी राज्य गुजरात के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान वहां के व्यवसायियों को काफी इंसेटिव मिला था लेकिन राजस्थान में इसका अभाव है।
 गुजरात से सीख सकता है राजस्थान
राजस्थान को अपने उद्योग धंधो को बूस्ट करने के लिए गुजरात जैसी पॉलिसी अपनानी चाहिए। हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात की भूमि अधिग्रहण नीति बेस्ट है। जो एसएमई और स्टार्टअप के लिए बेहतर माहौल दे रही है। साथ ही गुजरात भूमि अधिग्रहण नीति में उद्योग धंधों के लिए बेहतर कानून और किसानों के हित की भी बाते हैं।

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