Monday, June 9, 2014

डब्‍बा ट्रेडिंग यानी बर्बादी की गारंटी

कोटा। अगर आप शेयर बाजार या कमोडिटी बाजार से परिचित हैं, तो आपने डब्बा ट्रेडिंग के बारे में जरूर ही सुना होगा। गैरकानूनी तौर पर चलाए जाने वाले इस खेल के बारे में निवेशकों को जानना जरूरी है। आप सोच रहे होंगे कि डब्बा ट्रेडिंग है क्या बला और यह होती कैसे हो। डब्बा ट्रेडिंग में भी शेयरों और कमोडिटीज का कारोबार होता है, बस फर्क यह है कि जहां रजिस्टर्ड ब्रोकर अपने इन्वेस्टर्स और और कमोडिटी या स्टॉक एक्सचेंजों के बीच एजेंट का काम करता है, वहीं डब्बा चलाने वाला अपने आप में एक पूरी संस्था होता है। वह अपने ग्राहकों द्वारा किए जाने वाले सौदों को केवल अपने रजिस्टर में दर्ज करता है, उसके आगे ये सौदे एक्सचेंज या बाजार तक नहीं पहुंचते। उसी के स्तर से इन सौदों का निबटारा हो जाता है।
रजिस्टर्ड ब्रोकर अपने इन्वेस्टर्स के सभी सौदे सेबी (या एफएमसी) और एक्सचेंजों के नियमों के हिसाब से निबटाता है, जबकि डब्बा ट्रेडर अपने स्तर से ही सब कुछ निबटा देता है। ऐसे में सवाल यह कि लोग इसमें क्यों हिस्सा लेते हैं। इसकी वजह यह है कि किसी भी तरह की नकदी के जरिए इस खेल में हिस्सा लिया जा सकता है और कई गुना फायदे के लालच में लोग इसके प्रति आकर्षित हो जाते हैं। जानकारों का मानना है कि इस खेल में काले धन का भी काफी इस्तेमाल होता है। यही नहीं, डब्बा चलाने वाले लोग अपने खास ग्राहकों को कम से कम मार्जिन पर अधिक से अधिक ट्रेडिंग करने की छूट देते हैं। इसकी वजह से भी लोग इसकी ओर आकर्षित होते हैं। इसके प्रति आकर्षण की एक वजह यह भी है कि न तो इसमें टैक्स लगता है और न ही इसके लिए केवाईसी की जरूरत होती है।
डब्बा चलाने वाले कम मार्जिन पर अधिक से अधिक कारोबार की सुविधा देते है, इस सुविधा की वजह से लोग लालच में पड़ जाते हैं और अपनी सीमा से बाहर जा कर ट्रेडिंग कर लेते हैं। ऐसे में अगर दांव उल्टा पड़ा, तो उन्हें भारी नुकसान भी सहना पड़ता है। हालांकि सेबी और अन्य रेगुलेटर्स ने इसे रोकने के प्रयास जरूर किए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली है।

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