Wednesday, June 11, 2014

छात्रों ने बनाई बिना पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी

अगर आपको पेट्रोल बचाना है या पर्यावरण को बिल्कुल नुकसान पहुंचाए बिना गाड़ी चलानी है तो भविष्य में आपका ये ख्वाब पूरा हो सकता है। पीयू स्टूडेंट्स सक्षम श्रीवास्तव, शुभांग शर्मा, अभिरुचि कौल, दिव्या अरोड़ा ने ऐसी टैम कैव तै
यार की है जिसको चलाने के लिए पेट्रोल-डीजल की जरूरत नहीं है। मारुति 800 का प्रोटोटाइप तैयार करके स्टूडेंट्स ने इसे सफलतापूर्वक चलाया है। आईआईटी मुंबई में मार्च में हुए केमी कार कंपीटीशन में इस नई इनोवेशन के लिए उनकी टीम को एप्रीसिएशन अवॉर्ड भी मिला है।
 टैम कैव (थर्मो इलेक्ट्रिक मॉड्यूल- कॉम्पैक्ट आटोनॉमस व्हीकल) में रेडिएटर के दोनों ओर स्टूडेंट्स ने सेल अटैच कर दिया। एक ओर रेडिएटर की गर्मी और दूसरी ओर टेंपरेचर लो कर दिया। इससे एक कार को चलाने लायक इलेक्ट्रिसिटी पैदा होती है। अब वह गाड़ी की एफिशिएंसी बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। इसे कमॢशयल तौर पर इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए वह इस तकनीक को सस्ता करने में जुटे हैं। प्रो सीमा कपूर प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर हैं।
क्लास से आया आइडिया
टीम लीडर सक्षम श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रोसेस इंस्ट्रूमेंटेशन की क्लास चल रही थी। उसमें सेमी कंडक्टर्स के बारे में बताया जा रहा था। ये टेंपरेचर मेजरिंग सेंसर्स में यूज होते हैं। यहीं से आइडिया आया कि क्यों ना हाई एनर्जी पैदा करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाए। ये सेल मोबाइल की लीथियम बैटरीज की भांति होते हैं। अगर इन्हें कार के रेडिएटर के साथ अटैच कर दिया तो एक ओर से इन्हें हीट मिलेगी और दूसरी ओर टेंपरेचर कम करने से ये सेल चार्ज हो जाएंगे। प्रोटोटाइप में उन्होंने एग्जोथर्मिक (गर्म करना) और एंडोथर्मिक (ठंडा) रिएक्शन यूज किए थे। इसके लिए पोटाशियम परमैगनेट, ग्लिसरोल, अमोनियम थायोसाइनाइड आदि का इस्तेमला किया था।
ये हैं भविष्य के सपने
सक्षम अपने साथियों शुभांग शर्मा, अभिरुचि कौल, दिव्या अरोड़ा के साथ इस एनर्जी का लेवल तीन गुणा बढ़ाने में जुटे हैं ताकि गाड़ी की स्पीड बढ़ाई जा सके। मुंबई में हुए कंपीटीशन के दौरान उन्हें नए आइडिया के लिए एप्रीसिएशन तो मिला लेकिन गाड़ी की स्लो स्पीड के कारण वह पहले तीन स्थान पर नहीं आ सके। उनका मकसद है कि इनकी कीमत पेट्रोल और डीजल से कम की जाए और एफिशिएंसी बढ़े। उन्होंने  मारुति 800 के बराबर प्रोटोटाइप बनाने के लिए 12 सेल यूज किए थे। वो इसे मैक्रो स्केल से नैनो स्केल पर लेकर जा रहे हैं।
इंडस्ट्री में भी हो सकता है यूज
स्टूडेंट्स बताते हैं कि इस तकनीक का यूज इंडस्ट्री में भी बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है। किसी भी मशीन से पैदा होने वाली हीट को एकत्रित करने के लिए ये सेल अटैच किए जा सकते हैं लेकिन दूसरी ओर टेंचरेचर कम करने के लिए आर्टिफिशियल कूलिंग देनी होगी। इससे बड़े लेवल पर बिजली पैदा करना पॉसिबल होगा।

 

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